मुंबई. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ में हुई दुर्गति के बाद बीसीसीआई ने अपनी आपात बैठक बुलाई और रवि शास्त्री को टीम का डायरेक्टर बना दिया। उस 15 मिनट की ‘मैराथन’ बैठक में जो कुछ हुआ, उसकी पूरी रिकॉर्डिंग फ़ेकिंग न्यूज़ के पास मौजूद है, जिसे हम अपने पाठकों के सामने ज्यों का त्यों पेश कर रहे हैः
“बस बन गया”
(बीसीसीआई के सारे पदाधिकारी कॉन्फ्रेंस रूम में बैठे हंस रहे हैं, तभी सचिव संजय पटेल प्रवेश करते हैं)
संजय पटेलः हां भई, आ गये सब लोग!
अनुराग ठाकुरः हां जी, लोग तो आ गये। बस समोसे और कोल्ड ड्रिंक नहीं आये।
राजीव शुक्लाः लो जी, समोसे भी आ गये!
अनिरुद्ध चौधरीः हमारी तरफ़ भी बढ़ा दो शुक्ला जी। क्या सारे ख़ुद ही खा जाओगे!
राजीवः क्या बात कर रहे हैं चौधरी साब! मैं तो हमेशा मिल बांटकर खाता हूं।
(आधे घंटे तक यही खाने-खिलाने की बातें चलती रहती हैं। तभी पीए सिस्टम पर श्रीनिवासन की आवाज गूंजती है, जिसे सुनकर सब लोग खड़े हो जाते हैं)
सभी लोग एक साथ अभिवादन करते हुए बोलते हैं:Heil Srini!
श्रीनिवासनः ठीक-ठीक है, बैठ जाओ! सब लोग आ गये?
राजीवः जी सर, सब आ गये।
श्रीनिवासनः हां तो, किस-किसको निकालना है? बोलो!
संजयः सर धोनी को…
श्रीनिवासनः ये कौन बोला? धोनी का नाम किसने लिया? बोलो…!
संजय (डरते हुए): सर, मैं कह रहा था कि धोनी को लाइन पे ले लेते हैं। उसी से पूछ लेते हैं कि किसे निकालें।
श्रीनिवासनः उसे क्या लाइन पे लेना! वो तो शुरु से ही मेरी लाइन पे चलता है। लो! नाम लेते ही उसका मैसेज भी आ गया!
राजीवः क्या मैसेज है सर?
श्रीनिवासनः जिन-जिनको हटाना है, उनके नाम भेजे हैं उसने। एक तो कोई डावेस है! कौन है ये?
अनुरागः सर हमारा बॉलिंग कोच है।
श्रीनिवासनः ठीक है, उसी को हटाओ! साले ने ऐसी बॉलिंग सिखाई कि बॉलर बैटिंग भी करने लगे!
शिवलालः और दूसरा कौन है सर?
श्रीनिवासनः कोई ट्रेवर पेनी है। धोनी बता रहा था कि कुछ फ़ील्डिंग-वील्डिंग सिखाता है। उसे भी तुरंत हटाओ!
अनिरुद्धः हां सर! एक धेले का आदमी नहीं है ये पेनी। नॉट ए सिंगल पेनी! उसी की वजह से गंभीर रन आउट हुआ था।
अनुरागः ये तो हो गया सर! अब ये बताइये, रखना किसको है?
श्रीनिवासनः इसमें सोचना क्या है! अपना बंदा है ना शास्त्री! उसे पहले ट्राई करके भी देख चुके हैं। मैंने उससे बात कर ली है।
संजय (हंसते हुए): वो भी हमेशा हमारी ही लाइन पे चलता है सर!
संजयः और सर, उसने तो आपके लिए स्पेशल बुके भी भिजवा दिया है। बार-बार थैक्यू भी बोल रहा था आपको!
श्रीनिवासनः अरे, बच्चा है अपना! हम उसका ध्यान नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा! वो भी तो हमारा कितना ख़्याल रखता है। कमेंटरी कम करता है और हमारी चापलूसी तारीफ़ ज़्यादा करता है!
(“जी समझ गये” कहते हुए सब ठहाका मारकर हंसते हैं)
राजीवः वैसे सर, सिद्धू भी अपने काम का बंदा है।
संजयः काम का तो है शुक्ला जी! लेकिन उसे तो अभी हंसने से ही फ़ुर्सत नहीं है। कह रहा था कि बोलने से ज़्यादा तो मैं हंसने में कमा लेता हूं। वैसे भी, जब तक हमारे पास शास्त्री और सनी हैं, तब तक हमें किसी की ज़रूरत नहीं!
श्रीनिवासनः चलो तुम लोग खाओ-पीयो। अगर इन्होंने गलती से कोई वनडे जीत लिया, तो फिर किसी को निकालना पड़ेगा। ओके! मैं अब फ़ोन रख रहा हूं, मुझे वकील से अपना केस डिस्कस करना है।
(इसके बाद सभी लोग फिर से खाने-पीने और ठहाके लगाने में व्यस्त हो जाते हैं)